शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

लापरवाही ने ली कानन पेंडारी की बाघिन के तीन शावकों की जान

* जिंदगी की जंग से हारा कानन पेंडारी की बाघिन का तीसरा शावक भी  
* चौथा शावक भी मौत के कगार पर 
* जू प्रबंधन की लापरवाही का शर्मनाक नमूना 
* समय पर शावकों को वैक्सीन न लगाना बना मौत का कारण 
* पीएम रिपोर्ट के मुताबिक़ पेनल्यूकोपेनिया वायरल इंफेक्शन से हुई मौत    
* पिछले माह बाघिन चेरी से जन्में थे चार शावक  

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के कानन पेंडारी स्माल जू के अस्पताल में इलाज के नाम पर रखे गए बाघिन चेरी के बीमार तीसरे नर शावक ने भी बुधवार की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे दम तोड़ दिया। तो वहीं चौथा शावक (मादा) भी अब अपनी अंतिम साँसें गिन रहा है। गुरूवार को शाम करीब पांच बजे जू हास्पिटल के पास मृत शावक का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसके भी बिसरा को जाँच के लिए बरेली भेजा जायेगा। गत दो दिनों के भीतर तीन शावकों की हुई मौत से वन विभाग और जू प्रशासन कटघरे में आ गया है। शावकों की देखभाल में अनदेखी और इलाज में बरती गई लापरवाही मौत का कारण बनी है। दों शावकों की मौत मंगलवार को होने के बावजूद बाकी दो बीमार शावकों के मामले में भी लापरवाही दोहराई गई। जिससे तीसरे शावक की भी मौत हो गई। 
कानन पेंडारी के एनक्लोज़र में मंगलवार को सुबह आठ बजे रॉयल बंगाल टाइग्रेस चेरी के दों शावकों की मौत लापरवाही से होने के बाद भी वन विभाग और जू प्रबंधन का रवैया लापरवाही भरा रहा। जू के डाक्टरों द्वारा इलाज में लापरवाही बरते जाने से तीसरा नर शावक भी बुधवार की रात साढ़े ग्यारह बजे जिंदगी की जंग से हार गया। डाक्टरों ने उसके मरणासन्न अवस्था में हो रहा था। डीएफओ हेमंत पांडे ने बेशर्मी से स्वीकार भी किया था कि बाकी दोनों बीमार शावकों की स्थिति नाजुक बनी हुई है। वायरस के कारण ग्रोथ भी नहीं हो रही है। उनका इलाज लगातार जारी है। नर शावक की हालत बनिस्बत अधिक ख़राब है। इसके बावजूद प्रबंधन द्वारा लापरवाही बरतना शर्मनाक है। डा चन्दन ने दावा किया था कि दो रोज से बाकी दोनों शावकों का बारीकी से ट्रीटमेंट किया जा रहा था । उन्हें एंटीबायटिक दवाएं दी जा रही है। हालत न सुधरने पर बाहर से जीवन रक्षक दवाये मंगाई जायेगी। वायरल इंफेक्शन से ग्रसित चौथे शावक की हालत भी नाजुक बनी हुई है। ने के बाद भी उसका सही इलाज नहीं किया। डा. पीके चन्दन और डा सिन्हा दिल्ली जू के चिकित्सकों से फोन पर बात कर और टेली मेडिसीन के सहारे इलाज की खानापूर्ति करते रहे। बाकी दोनों शावकों को केज से बाहर निकल कर सही इलाज करने का दावा किया जा
सनद रहे पिछले माह की तेरह तारीख को बाघिन चेरी ने चार शावकों को जन्म दिया था। फिर भी उन्हें समय पर वैक्सीन नहीं लगाया गया था जिससे वे पेनल्यूकोपेनिया वायरल इंफेक्शन की चपेट में आ गए।शावकों की मौत की यही वजह है। जू के डॉक्टर के मुताबिक़ यह सामान्य बात है। एक साल पहले नागपुर के जू से रायल बंगाल टाइग्रेस चेरी को बिलासपुर के कानन पेंडारी स्माल जू में शोभा बढ़ाने लाया गया था। यहाँ वाइट टाइगर विजय और चेरी की ब्रीडिंग से तेरह अक्टूबर को चार शावकों ने जन्म लिया था। इनके जन्म का जश्न वन विभाग और कानन पेंडारी स्माल जू के आला अफसरों ने मनाया था। बेहतर वन्य प्राणी संरक्षण और संवर्धन के नाम पर अफसरों ने खुद अपनी पीठ थपथपाई थी। जबकि इस स्माल जू में प्रबंधन ने पहले भी कई बार लापरवाही का बड़ा नमूना पेश किया है। यहाँ संरक्षित जानवरों की देखभाल और इलाज में अक्सर अनदेखी की जाती है।बीमारी बढ़ने के बाद इलाज के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है। मौत के बाद मामले को रफा दफा करने आनन फानन में पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। इसी तरह की पुनरावृत्ति बाघिन चेरी के मृत तीनों शावकों के मामले में भी हुई है। 
गौरतलब है कि चारों शावकों की उम्र एक माह होते ही उन्हें वायरल इंफेक्शन से बचाने वैक्सीन इसलिए नहीं लगाया जा सका था क्योंकि वैक्सीन वन विभाग के पास उपलब्ध ही नहीं थे। निर्धारित अवधि बीत जाने के एक सप्ताह बाद ही शावकों को वैक्सीन लगाये जा सके। कानन पेंडारी के डॉक्टर पीके चंदन ने अपना पल्ला झाड़ते हुए सफाई दी कि इस सीजन में टाइग्रेस के शावकों को वायरल इंफेक्शन होना आम बात है। यह संक्रमण वाला इंफेक्शन होता है। इससे उनकी मौत होना सामान्य बात है। उन्होंने यह भी कहा कि आम  तौर पर शावक जन्म के दो माह बाद ही वायरल इंफेक्शन की चपेट में आते हैं लेकिन चेरी के चारों शावक एक माह के बाद ही पेनल्यूकोपेनिया वायरल इंफेक्शन से ग्रस्त हो गए। इन्हे निमोनिया, इंफेक्शन आदि से बचाने वैक्सीन लगा दिए गए फिर भी उनकी मौत हो गई। इनकी पोस्ट मार्टमरिपोर्ट गुरूवार को पेश की गई। हालांकि प्रारम्भिक परीक्षण में इनकी मौत का कारण वायरल इंफेक्शन से होना पता लग गया था।  मृत तीनों शावकों के लंग्स,लीवर , किडनी , स्पिलीन निकाल कर बिसरा जांच के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संस्थान बरेली भेजा जा रहा है।