शनिवार, 18 जनवरी 2014

कानन पेंडारी के चीतलों की मौत पर सियासत का कफ़न



* कानन पेंडारी जू में 22 चीतलों की मौत का मामला गरमाया 
* कांग्रेसियों और अभाविप ने डीएफओ का घेराव कर मचाया हंगामा 
* कांग्रेसियों ने सीएम का किया पुतला दहन 
  
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से दस किलोमीटर दूर स्थित कानन पेंडारी स्मॉल जू में हुई 22 चीतलों की मौत के विरोध में वन्य प्राणी प्रेमियों के अलावा कांग्रेसी और अभाविप ने भी अब मोर्चा खोल दिया है। मामले की लीपापोती करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न होने से भड़के कांग्रेसी और अभाविप के लोगों ने शुक्रवार को दोपहर डीएफओ हेमंत कुमार पाण्डेय का घेराव उन्हीं के कार्यालय में जम कर नारेबाजी करते हुए उग्र प्रदर्शन किया। डीएफओ से तत्काल मामले की एफआईआर दर्ज कराने और उनके इस्तीफे की मांग भी की गई। फिर कांग्रेसियों ने मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया। इस दौरान एसडीएम, सीएसपी सिविल लाइन, टीआई के अलावा भारी पुलिस बल तैनात था, लेकिन वे मूकदर्शक बन कर खड़े रहे। 
कानन पेंडारी में मृत चीतलों के मामले को लेकर शुक्रवार को दोपहर एक बजे से ही डीएफओ कार्यालय में काफी गहमागहमी बनी रही। कोई अप्रिय स्थिति न उत्पन्न हो, इसलिए सुरक्षा बतौर एसडीम कदीर अहमद खान, सीएसपी सिविल लाइन मधुलिका सिंह, सिविल लाइन थाना प्रभारी एलपी द्विवेदी सहित पुलिस बल पहले से ही मौजूद था। सबसे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक निलय तिवारी के नेतृत्व में सदस्यगण डीएफओ कार्यालय में धावा बोला। पुलिस बल ने जब डीएफओ हेमंत कुमार पाण्डेय के कक्ष में घुसने की उनकी कोशिश नाकाम कर दी तब वे अभाविप सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी। फिर माहौल बिगड़ता देख खुद डीएफओ उनसे चर्चा करने कक्ष से बाहर आये। अभाविप सदस्यों ने डीएफओ से पूछा कि चीतलों की मौत के जिम्मेदार लापरवाह जू प्रबंधन और दोषी कर्मियों के खिलाफ अब तक कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। अगर एंथ्रेक्स बीमारी से चीतलों की मौत हुई है तो इसके संक्रमण की रोकथाम के क्या उपाय किये गए हैं, जिससे जू के अन्य पशु पक्षी और पर्यटक भी पीड़ित न हो सकें। काफी झड़प के बाद डीएफओ ने उन्हें अंतिम जाँच रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई करने का भरोसा दिलाकर चलता कर दिया। अभाविप के जिला संयोजक से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री, जिन्होंने खुद वन मंत्रालय अपने पास रखा है, क्या आप लोग उन्हें भी इस मामले में घेरेंगे? तब उन्होंने सफाई दी कि इस मामले में मुख्यमंत्री को दोष देना ठीक नहीं है। पहली जिम्मेदारी जू प्रशासन और जिला प्रशासन की है। उनसे ही हमने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।    
अभाविप सदस्यों के जाते ही यहाँ प्रदेश कांग्रेस सचिव विवेक वाजपेयी और शहर कांग्रेस महामंत्री अनिल सिंह चौहान के नेतृत्व में कांग्रेसजन भी पहुंचे। काफी देर तक नारेबाजी किये जाने के बाद भी जब डीएफओ चर्चा करने के लिए अपने कक्ष से बाहर नहीं निकले तो उग्र कांग्रेसी पुलिस बल और कार्यालयीन वन कर्मियों द्वारा रोके जाने के बावजूद धक्कामुक्की करते हुए कक्ष के भीतर घुस गए। डीएफओ ने नाराज होकर जब प्रदर्शनकारी कांग्रेसियों को बाहर निकालने सीएसपी को आदेश दिया तो मामला ज्यादा बिगड़ गया। प्रदेश कांग्रेस सचिव विवेक वाजपेयी ने डीएफओ से जब पूछा कि 22 चीतलों की मौत कैसे हुई और इसका दोषी कौन है, तो डीएफओ ने पल्ला झाड़ते हुए जवाब दिया कि दुर्ग के वेटनरी डॉक्टरों ने ब्लड सैम्पल के लैब परीक्षण के बाद मौत की वजह एंथ्रेक्स बीमारी बताई है। इस मामले में मैं किसी कर्मचारी को कैसे दोषी ठहरा सकता हूँ। बरेली से बिसरा जांच की अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही सही कारणों का खुलासा होगा। यह सुन कर विवेक वाजपेयी भड़क गए और कहा कि आप एंथ्रेक्स की आड़ में मामले पर पर्दा डाल रहे हैं। एंथ्रेक्स के विषाणु फैलने की अफवाह फैला कर आम जनता में दहशत पैदा कर उन्हें बेवकूफ बना रहे हैं।एंथ्रेक्स बीमारी फ़ैली तो केज में बाकी 33 नर चीतल कैसे सुरक्षित बच गए? एंथ्रेक्स बीमारी अगर अभी फ़ैली है तो बीते साल नवम्बर में बाघिन के तीन शावक कैसे मर गए? एक छोटा हाथी कैसे मर गया? चीतलों की मौत के बाद अब तक आपने थाने में एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई? दोषी जू कर्मियों के खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई है? आपने जू को ऐशगाह बना दिया है। घटना की रात को बीजेपी नेता को वहाँ पार्टी करने की इजाजत किसने दी? इन तमाम गंभीर सवालों का जवाब देने के बजाय डीएफओ ने मौन साध लिया। कांग्रेस नेत्री श्रीमती रश्मि सिंह ने भी सवाल दागा कि क्या एंथ्रेक्स बीमारी बताने के लिए अंजोरा दुर्ग के पशु चिकित्सक अधिकृत हैं? अगर वास्तव में एंथ्रेक्स फैला है तो आपने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन, दिल्ली को सूचित क्यों नहीं किया? जबकि अमेरिका में एंथ्रेक्स के जीवाणु फैलने की बात सामने आई थी तो पूरे देश में तत्काल आपदा प्रबंधन के इंतजाम कर लिए गए थे। आपके सहित जू कर्मी एंथ्रेक्स जीवाणु से कैसे बच गए? इसका जवाब भी देना डीएफओ ने मुनासिब नहीं समझा। तब शहर कांग्रेस महामंत्री ने रोषपूर्वक कहा कि आपको अब कांग्रेसजन कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते। आपको अब डीएफओ के पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। आप तत्काल इस्तीफा दीजिये। यह सुन कर मौन तोड़ते हुए डीएफओ ने साफ कहा कि मैं इस्तीफा हरगिज नहीं दूंगा। इस्तीफा मांगना शासन का काम है। डीएफओ के अड़ियल रवैये से क्षुब्ध होकर कांग्रेसी डीएफओ मुर्दाबाद, डीएफओ शर्म करो आदि नारे लगते हुए कक्ष से बाहर निकल गए। फिर उन्होंने कार्यालय परिसर के बाहर सड़क पर मुख्यमंत्री रमन सिंह का पुतला दहन किया। यहाँ भी पुलिस बल बगैर कोई विरोध किये मूकदर्शक बना रहा। 
बाद में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि चीतलों की मौत ने प्रदेश के वन्य प्रेमियों और आम जनमानस को हिला कर रख दिया। मुख्यमंत्री के अधीन वन मंत्रालय होने के बाद भी वन्य प्राणियों की मौत एवं वन के दोहन और भ्रष्टाचार का खेल अत्यंत अमानवीय व संवेदनहीनता का परिचायक है। चीतलों की मौत के लिए मुख्यमंत्री और वन विभाग के भ्रष्ट अफसर इसके लिए जिम्मेदार है। उन पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए। डीएफओ और मुख्यमंत्री को तत्काल अपनी नैतिक जिम्मेदारी के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। अन्यथा प्रदेश स्तर पर भी आंदोलन किया जाएगा। 

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