रविवार, 5 जनवरी 2014

बाघ से घबराए बिना बुलंद हौंसले ने बचाई तीन जिंदगियां (२)


















साहसी युवक लालू (लाल टी शर्ट पहने हुए) को पुरस्कार देते वन अधिकारी 

ग्राम खुड़िया के डूबानपारा में शुक्रवार को जान की परवाह किये बगैर अपने बुलंद हौंसले से युवक लालू ने जिस तरह तीन जिंदगियां बचाई, उसकी तारीफ आसपास के गांव वाले भी कर रहे हैं। बाजू के कमरे में घुस आये बाघ की मौजूदगी के बावजूद लालू ने बेख़ौफ़ होकर कमरे से दो बच्चों और एक महिला को सुरक्षित बाहर निकाला। अदम्य साहस की मिसाल पेश करने वाला यह युवक अपने साहसिक कार्य को मानव सेवा का एक छोटा हिस्सा मानता है। 
शुक्रवार को सुबह अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र से खुड़िया बांध अपनी प्यास बुझाने आया बाघ लौटते वक्त एक ग्रामीण नरेश निषाद (60 वर्ष) को घायल करने के बाद खुद अपनी जान बचाने की जुगत में पांच घंटे खपरैलनुमा मकान में कैद रहा। ग्रामीणों की भीड़ देख कर सबसे पहले बाघ डूबानपारा में वल्लभ मरावी के घर के आंगन में घुसा फिर उसने बगल के कंगला यादव के मकान के कमरे में घुस कर शरण ली थी। इसके बाजू के कमरे में एक महिला दो बच्चों के साथ बैठी थी। ऐसे खौफनाक मंजर के बीच इसी गांव के निवासी लालू पिता दसरू कोल ने अपनी हिम्मत से तीन लोगों को नया जीवन दिया। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लालू को दो हजार रूपये का पुरस्कार सम्मान स्वरूप दिए जाने पर उसकी प्रतिक्रिया रही कि पुरस्कार मिलने से ज्यादा खुशी उसे तीन लोगों की जिंदगी बचाने में मिली है। मानव सेवा की भावना और गांव वालों की भलाई उसका हमेशा उद्देश्य रहा है। इसीलिये वह जंगल के इस खूंखार बाघ से भी नहीं घबराया। वैसे भी यहां अचानकमार इलाके के बाघ और अन्य हिंसक जानवर देर रात को ग्राम सुरही से होते हुए खुड़िया बाँध पानी पीने के लिए आते रहते हैं। शुक्रवार को यह बाघ प्यास बुझाने तड़के आ गया था जिसके कारण उसे खुद अपनी जान बचाने के लाले पड़ गए। लालू की हौंसला अफजाई और तारीफ करने शनिवार को भी उसके गांव में मिलने वालों का तांता लगा रहा। मीडिया में ख़ासा प्रचारित हो जाने के बाद भी उसका व्यवहार आम दिनों की तरह सामान्य रहा। 
वहीं दूसरी तरफ बाघ के हमले से घायल हुए इसी गांव के ही साठ वर्षीय नरेश निषाद का हौंसला भी तारीफे काबिल है। लोरमी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से बेहतर इलाज के लिए सिम्स बिलासपुर रिफर किये गए नरेश निषाद का उपचार जारी है। सिम्स के चिकित्सकों ने उसे अब खतरे से बाहर बताया है। छोटी खेती किसानी से अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले घायल नरेश ने शनिवार को सिम्स के बिस्तर पर आराम के दौरान घटना के संबंध में बताया कि शुक्रवार को सुबह छह बजे वह गांव की गली से गुजर रहा था। उसके आगे उसका बेटा तुलसी (21 वर्ष) चल रहा था। इसी बीच एक यात्री बस का हार्न सुन कर बिदका बाघ सामने आता दिखा। मैंने तेजी से दौड़ कर अपने बेटे को किनारे किया ताकि बाघ उस पर हमला न कर दे। फिर पलक झपकते ही बाघ हमारे घर के आँगन में घुस गया। वहाँ पोता रवि और पोती रवीना खेल रहे थे। बाजू में मां सरस्वती बाई भी बैठी हुई थी। बाघ इन पर झपटता कि उसके पहले वह बच्चों को बचाने बाघ के सामने आ गया। जिससे बाघ ने उस पर हमला कर दिया। बाघ ने उसके जबड़े और कंधे पर पंजे से वार किया था। फिर उसे घायल करने के बाद बाघ बगल के एक अन्य घर में घुस गया। घायल नरेश ने राहत की साँस लेते हुए कहा कि घायल होने का उसे कोई मलाल नहीं है। उसे खुशी है कि वह अपने पोते, पोती और उसकी मां की जान बचाने सफल रहा। सिम्स में घायल नरेश की सेवा और देखभाल करने उसका बेटा तुलसी भी मौजूद था। मकान मिस्त्री तुलसी जब अपने पिता के साहस की तारीफ कर रहा था तब उसकी आँखें नम हो गई। उसने कहा कि बाबूजी ने मौत की चिंता किये बगैर हम सबको बाघ से बचा कर नया जीवन दिया है।

                         

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