शनिवार, 4 जनवरी 2014

कानन पेंडारी में शेरनी वर्षा के दोनों शावकों की जिंदगी भी लगी दांव पर

* कानन पेंडारी में शेरनी वर्षा के दोनों शावकों की जिंदगी भी दांव पर   
* पिछली बदनामी से भी नहीं चेता है स्मॉल जू का प्रबंधन 

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के निकट कानन पेंडारी स्मॉल जू में पिछले माह शेरनी वर्षा द्वारा दो शावकों को जन्म देने के बाद उनके संरक्षण पर भी सवाल उठने लगे हैं। इन्हें वायरल इंफेक्शन से बचाने जू प्रबंधन उदासीनता बरत रहा है। हालाँकि जू प्रबंधन इस खुशफहमी में है कि वर्षा अपने दोनों शावकों को दूध पिला रही है, इसलिए खतरे की कोई बात नहीं है। 
जू प्रबंधन ढाई माह बाद फिर से जश्न मनाने के मूड में है .सनद रहे कि बीते साल तेरह अक्टूबर को सफ़ेद बाघ विजय और रायल बंगाल टाइग्रेस चेरी की ब्रीडिंग से चार शावकों के जन्म के बाद जू प्रबंधन समेत वन विभाग के आला अधिकारियों ने खुद अपनी पीठ थपथपाते हुए कानन पेंडारी में जश्न मनाया था। लेकिन कुछ ही रोज में अफसरों के होश फाख्ता हो गए जब चारों शावक अनदेखी और लापरवाही के चलते वायरल इंफेक्शन की चपेट में आ गए थे। चौंकाने वाली बात यह थी कि पालतू कुत्ते, बिल्लियों और अन्य घरेलू मवेशियों को दी जाने वाली दवाओं से बाघिन चेरी के बीमार चारों शावकों के इलाज की कोशिश की गई थी। टेली कांफ्रेंसिंग कर दिल्ली के जू चिकित्सकों से इलाज संबंधी मार्गदर्शन लिया गया था। इलाज में घोर लापरवाही के चलते आखिरकार 18 नवम्बर 2013 को दो शावकों और 21 नवम्बर 2013 को एक शावक ने दम तोड़ दिया था। किसी तरह बाकी एक शावक को मौत के मुंह से वापस लाकर जू प्रबंधन ने राहत की साँस ली थी।  
बाघिन चेरी के तीन शावकों की मौत की बदनामी झेलने वाला जू प्रबंधन फिर अपने पुराने लुंजपुंज रवैये पर उतर आया है। शेरनी वर्षा के नवजात दोनों शावकों को कड़ाके की ठंड से बचाने के लिए अब तक कोई खास प्रबंध नहीं किये गए हैं।बाघिन चेरी के एनक्लोजर की तरह शेरनी वर्षा के एनक्लोजर का फर्श भी कांक्रीट फलोरिंग वाला होने से बेहद ठंडा है। शुरूआत में पेट के बल चलने वाले शावकों के लिए ऐसा फर्श काफी खतरनाक माना जाता है। उनके निमोनिया से ग्रस्त होने का अंदेशा बना हुआ है। 
बाघिन चेरी के शावकों  के मामले की तरह यदि शेरनी वर्षा के दोनों शावकों को अब बाहर निकाल कर रोज धूप का ताप नहीं दिया जायेगा तो वे भी निमोनिया की चपेट में आकर वायरल इंफेक्शन से ग्रस्त हो सकते हैं। फिर शेरनी के इन दोनों शावकों के जीवन की रक्षा करना जू प्रबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। हालाँकि बिलासपुर के वन मंडलाधिकारी हेमंत पाण्डे का दावा है कि लायनेस वर्षा के गर्भवती होने की पुष्टि के बाद से ही जू प्रबंधन सतर्क हो गया था। ठंड से बचाव के मद्देनजर उसके एनक्लोजर में रूम हीटर लगा दिया गया है। उसके शावकों को इंफेक्शन से बचाने के लिए पर्याप्त साफ सफाई रखी गई है। शावकों का चिकित्सीय परीक्षण भी कराया गया है। अब खतरे जैसी कोई बात नहीं है।  .  

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