गुरुवार, 16 जनवरी 2014

कानन पेंडारी जू प्रबंधन की लापरवाही से 22 चीतलों की मौत

* कानन पेण्डारी प्रबंधन की लापरवाही ने ली 22 चीतल की जान  
* दाने में जहर मिला कर मारने की आशंका 
* दुर्ग से आए तीन पशु चिकित्सकों के दल ने की जाँच 
* डीएफओ मामले की लीपापोती करने में जुटे

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित स्मॉल जू कानन पेण्डारी के बाड़े में बुधवार को सुबह करीब सात बजे 22 चीतल मृत पाये गए। इनमें आठ शावक भी शामिल हैं। सभी मृत चीतल मादा हैं। मंगलवार की रात को इन चीतलों को दाने में जहर देकर मारने की आशंका जताई गई है। जू प्रबंधन की लापरवाही से ही इन चीतलों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस हादसे के बाद वन विभाग फिर सवालों के कटघरे में आ गया है। डीएफओ इस मामले की लीपापोती करने में जुट गए हैं। 
स्मॉल जू कानन पेण्डारी के चीतलों के बाड़े (केज) में बुधवार को सुबह करीब सात बजे जब जू कर्मी बलदाऊ वस्त्रकार दाना डालने गया तो वहाँ 14 मादा चीतल और आठ मादा शावक (छौना) को मृत अवस्था में देख कर उसकी आँखें फटी रह गई। उसने चीतलों के मुंह और गुदा द्वार से खूंन निकला हुआ भी देखा। कुछ चीतलों के पेट फटे हुए भी दिखे। उसने तत्काल कानन पेण्डारी अधीक्षक और वन विभाग के आला अधिकारियों को इस मामले की जानकारी दी। सूचना पाकर सभी जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुँच गये। वन अधिकारियों को मौके के मुआयने के दौरान चीतलों के बाड़े में डायजाफार्म दवा के तीन डिब्बे भी पड़े मिले। जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि मंगलवार की रात को इन चीतलों को आहार में जो दाना दिया गया था उसमें जहर मिला हो सकता है। जबकि डीएफओ हेमंत पाण्डेय जहर खुरानी की बात से साफ इंकार कर रहे हैं। उनके मुताबिक़ पूरे मामले की जाँच और पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो सकेगा।
बहरहाल, प्राथमिक जाँच के बाद बाड़े से सभी मृत चीतलों को वाहन में डाल कर जू परिसर में स्थित अस्पताल के निकट लाकर मैदान की झाड़ियों में छिपा कर रख दिया गया। कौव्वों और गिद्धों से बचाने और मीडिया से छुपाने की दृष्टि से इन पर प्लास्टिक का तिरपाल ढँक दिया गया। जब मीडिया कर्मी यहाँ पहुंचे तो डीएफओ ने मामले पर अपना पल्ला झाड़ते हुए कुछ भी अधिकारिक बयान देने से कतराने लगे। उन्होंने मृत चीतलों की तस्वीरें खीचने पर कुछ घंटे तक पाबंदी लगा दी थी। हालाँकि बाद में डीएफओ का रूख कुछ नरम पड़ा। वन संरक्षक सिंह भी मामले पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से बचते रहे। इस मामले में वरिष्ठ वन अधिकारियों के ढुलमुल रवैये को देख कर कलेक्टर ठाकुर राम सिंह ने सक्रियता दिखाते हुए दुर्ग के तीन वरिष्ठ पशु चिकित्सकों को जाँच के लिए बुलवाया। ये चिकित्सक शाम को कानन पेण्डारी पहुंचे और जाँच शुरू की। इस हादसे के बाद वन विभाग की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लग गए है। बीते साल नवम्बर माह में लापरवाही के कारण बाघिन चेरी के तीन शावकों की मौत के बाद भी जू प्रबंधन नहीं चेता है। उसकी लापरवाही से फिर जू के अन्य जानवरों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है। सनद रात के वक्त जू में दिखावे के लिए आठ कर्मियों को तैनात किया गया है। जबकि गश्त पर दो तीन कर्मी रहने का दावा किया गया है। अब प्रश्न उठता है कि बाहर का कोई भी व्यक्ति चीतलों को जहर देकर कैसे मार सकता है। चीतलों को दाने में जहर मिला कर मारने का क्या उद्देश्य हो सकता है, यह सवाल अभी अनुत्तरित है। वहीं दूसरी तरफ यह भी चर्चा है कि इस जू में चीतलों की बढती संख्या के मद्देनजर 22 चीतलों को बेहोश कर देर रात को बंद वाहन में लाद कर अचानकमार के जंगल में शिफ्ट किये जाने की योजना थी। कुछ वर्ष पूर्व भी जब चीतलों की शिफ्टिंग की जा रही थी तब भी कुछ चीतलों की मौत हो गई थी।


           

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