शनिवार, 4 जनवरी 2014

बाघ से घबराए बिना बुलंद हौंसले ने बचाई तीन जिंदगियां

अचानकमार प्रोजेक्ट टाइगर एरिया से लगे ग्राम खुड़िया स्थित बांध से पानी पीकर लौट रहे एक बाघ ने शुक्रवार को सुबह डूबानपारा में एक ग्रामीण पर हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तत्काल लोरमी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहाँ चिकित्सकों ने उसे सिम्स बिलासपुर रिफर कर दिया। ग्रामीण पर हमले के बाद बाघ डूबानपारा स्थित एक अन्य ग्रामीण के घर के कमरे में भी घुस गया। बगल के कमरे में बैठे दो बच्चों और एक महिला को, अपनी जान पर खेल कर एक युवक ने सुरक्षित बाहर निकाला। करीब पांच घंटे बाद बाघ ग्रामीणों की बढती भीड़ देख कर दहाड़ते हुए जंगल की ओर भाग गया। 
अचानकमार के जंगल से खुड़िया बांध आकर अपनी प्यास बुझा कर लौट रहे एक बाघ ने शुक्रवार को सुबह छह बजे समीपस्थ डूबानपारा मार्ग में नरेश को देख कर उस पर अचानक हमला कर दिया। इस हमले से उसके जबड़े और कंधे में गंभीर चोंटें आईं। उसकी मदद की गुहार सुन कर स्थानीय ग्रामीण इकट्ठे हो गए। उन्होंने तत्काल एम्बुलेंस बुलवा कर उसे निकटस्थ लोरमी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भिजवाया। जहां चिकित्सकों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए सिम्स, बिलासपुर रिफर कर दिया। सूचना मिलने पर वन विभाग के अधिकारी भी पहुँच गए थे। उनके द्वारा घायल ग्रामीण को तुरंत पांच हजार की सहायता राशि भी दी गई। 
वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण पर हमला करने के बाद जब बाघ जंगल की ओर जा रहा था, इसी बीच एक यात्री बस सामने से तेज हार्न बजाते हुए आ रही थी। इससे विचलित होकर बाघ फिर से डूबानपारा की तरफ वापस लौट गया। वह सड़क के किनारे स्थित एक ग्रामीण के घर के आंगन में घुस कर बैठ गया। घर के आंगन घुस कर बाघ के बैठने की खबर तेजी से आसपास फ़ैल गई। देखते ही देखते पड़ोसियों और अन्य ग्रामीणो की भीड़ इकट्ठी हो गई। घर के आंगन से बाघ को खदेड़ने लोग शोरगुल करने लगे। ग्रामीणों का हुजूम और शोर मचता देख बाघ अपनी जान बचाने दहाड़ते हुए फुर्ती से बगल के एक मकान के खुले हुए कमरे के भीतर घुस गया। जिस कमरे में बाघ घुसा था, ठीक उसके बाजू के कमरे में एक महिला दो बच्चों के साथ बैठी थी। बाघ की तेज गुर्राहट सुन कर उन सबकी घिघ्घी बंध गई। उन्होंने अपने बचाव के लिए तुरंत कमरे को बंद कर भीतर से कुंडी लगा दी। 
उधर, मकान के बाहर ग्रामीणों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। शोर बढता जा रहा था। जिस बंद कमरे के भीतर महिला और बच्चे थे, वहां से भी मदद की पुकार होने लगी। उनके परिजन भी तब तक आ चुके थे। इसी दौरान भीड़ में से युवक लालू सामने आया। उसने अदम्य साहस का परिचय देते हुए, अपनी जान की परवाह किये बगैर वह दौड़ते हुए कमरे के पास गया और दरवाजा खुलवाया। फिर वह महिला और दोनों बच्चों को सुरक्षित बाहर लाने में कामयाब रहा। दोनों बच्चों को भी नया जीवन मिलने उसके परिजनों नें भाव विभोर होकर गोद में उठा लिया। वहीं साहसी युवक की जय जयकार करते हुए ग्रामीणों ने उसे खुशी से कंधे पर उठा लिया। बच्चों के परिजनों ने उसे आभार स्वरूप गले लगाया। जबकि वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने साहसी लालू को दो हजार रूपये नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।  
तत्पश्चात मकान मालिक और ग्रामीणों ने दूसरे कमरे में बैठे बाघ से रक्षा के लिए आसपास के घर खाली करा कर रस्से से घेरा बांध दिया। ताकि बाघ भाग न सके और उसे आसानी से वन विभाग का अमला बेहोश कर उसे पिंजरे में कैद कर सके। ग्रामीणों के हमले के डर से करीब पांच घंटे तक बाघ कमरे में दुबक कर बैठा रहा। सुबह लगभग 11 बजे बाघ हिम्मत जुटा कर दहाड़ते हुए कमरे से बाहर निकला और पिछले हिस्से की तरफ तेजी से जंगल की ओर अपनी जान बचा कर भाग गया।
इस घटनाक्रम के दौरान मौके पर सीसीएफ एसके सिंह, डीएफओ रजक, एसडीओ एके चटर्जी, आरपी तिवारी, एसडीएम प्रमोद शांडिल्य और एसडीओपी एसएल चौहान भी मौजूद थे। इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों ने सतत निगरानी के निर्देश दिए। ग्रामीणों को स्व सहायता समूह बना कर 25 हजार रूपयों की मदद देने की पेशकश भी की गई।                      




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